कुछ
बातें मेने शायद परमानेन्ट मारकर
से लिख दी थी
वो 3 साल
की यादें ही तो हे जो मे कभी भुलना नहीं चाहता
कुछ बातें मेने
याद रखना जरूरी नही समझा था
उनको
मेने शायद ऐसी स्याही से
लीख दीया वक्त के साथ साफ होगयी
ओर
उन्ही पन्नो पर मेने 3 साल की यादें लीख दी
कुछ
यादें मे लिखना भुल गया था, अब वो धुंधली सी होगयी थी
जो आज थोडी बहोत
याद कर लिख रहा हु
कुछ
यादें ऐसी भी हे जो मेने लीखली हे पर मिटाने
मे बड़ी मसक्कत की मेने
पर सारे पन्ने
मिलके मुझसे ज्यादा ताकतवर होगये हे
उन्हीं पन्नो ने
परेशान किया हे अभी तो
सोच
रहा हु इस किताब को यही THE END लगा के बंध कर दुं
ऐक ओर किताब
खरीद के नया नाम इख्तियार करके ऐक ओर किताब लिखलु ऐक ओर जिंदगी इख्तियार करलू
👏👏nice
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